प्रायद्वीपीय पठार | Praydwipiya Pathar

प्रायद्वीपीय पठार Praydwipiya Pathar प्वाइंट वाइज़, मैप के माध्यम से समझाया गया है। केवल परीक्षा में आने वाले महत्वपूर्ण मटीरीयल को ही शामिल किया गया है।

प्रायद्वीपीय पठार praydwipiya pathar prayadwipiya pathar prayadwipiya pathar praydwipiya pathar peninsular plateau in hindi
Prayadwipiya Pathar
  • गंगा सिंधु के मैदान के दक्षिण में फैले त्रिभुजाकार क्षेत्र को प्रायद्वीपीय पठार या प्रायद्वीपीय भारत कहते हैं।
  • इसकी औसत ऊंचाई 600 से 900 मीटर है।
  • इसका ढाल पश्चिम से पूर्व की ओर है।
  • इसका क्षेत्रफल 16 लाख वर्ग किलोमीटर है।
  • यह तीनों ओर समुद्र से घिरा हुआ है। पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट इस क्षेत्र की क्रमशः पूर्वी व पश्चिमी सीमाएं हैं, जो पठारी प्रदेश को तटीय मैदानों से अलग करती है।
  • मेज की आकृति वाला यह प्रायद्वीपीय पठार जो पुराने क्रिस्टलीय आग्नेय तथा रूपांतरित शैलों से बना है, यही कारण है कि यह प्राचीनतम भूभाग का एक हिस्सा है।
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 मुख्य उच्चावच लक्षण के अनुसार प्रायद्वीपीय पठार के तीन भाग है: 

  1. मध्य उच्च भूमि,
  2. दक्कन का पठार, 
  3. उत्तर पूर्व पठार
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Peninsular Plateau in hindi : विभिन्न भाग

मध्य उच्च भूमि

  • मध्य उच्च भूमि, नर्मदा के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो मालवा पठार के अधिकतर भागों में फैला है।
  • यहाँ पर विंध्य श्रृंखला, दक्षिण में सतपुड़ा व उत्तर पश्चिम में अरावली से घिरी। ये अवशिष्ठ पर्वतों के उत्कृष्ट उदाहरण है जो काफी हद तक अपरदित हैं और उनकी श्रृंखला टूटी हुई है।
  • इस क्षेत्र की मुख्य नदियां: चंबल, बेतवा, केन (दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर)
  • इस पठार के पूर्वी विस्तार बुंदेलखंड और बघेलखंड हैं।
  • अपने भूगर्भीय इतिहास में यह क्षेत्र कायांतरित प्रक्रियाओं से गुजर चुका है और कायांतरित चट्टानों जैसे संगमरमर प्लेट और नाइस की उपस्थिति इसका प्रमाण है।
  • बनास, चंबल की एक मात्र मुख्य सहायक नदी जो पश्चिम में अरावली से निकलती है।
  • मध्य उच्च भूमि का पूर्वी विस्तार, राजमहल की पहाड़ियों तक है। इसके दक्षिण में स्थित छोटा नागपुर पठार, खनिज पदार्थों का भंडार है।
  • यहाँ के भीमा भ्रंश में बार-बार भूकंपीय हलचल होती रहती है।
  • इस पठार के उत्तर-पश्चिम भाग में नदी खंड और महाखंड हैं जो इसके धरातल को जटिल बनाते हैं। जैसे चंबल भिंड मुरैना खंड।

दक्कन का पठार

  • त्रिभुजाकार भूभाग जो नर्मदा के तक्षण में स्थित है
  • उत्तर में स्थित चौड़े आधार पर सतपुड़ा की श्रृंखला है जबकि महादेव कैमूर की पहाड़ी और मैकल श्रृंखला इसके पूर्वी विस्तार हैं।
  • प्रायद्वीपीय पठार के  दक्षिणी भाग को तीन भागों में विभाजित किया जाता है:
    • दक्कन ट्रैप
    • पूर्वी घाट और
    • पश्चिमी घाट

 दक्कन ट्रैप

  •  दक्कन ट्रैप, नाभिक माना जाता है।
  • भारत की सबसे प्राचीन चट्टाने यहां मिलती है।
  • यह रवेदार चट्टानों से बना है।
  • इसके धरातल पर लावा निक्षेप मिलते हैं।

 पूर्वी घाट

  •  इसकी ऊंचाई तुलनात्मक रूप से कम है।
  • इसका विस्तार महानदी से नीलगिरी तक है।
  • यह सतत नहीं है।
  • इस की सबसे ऊंची चोटी महेंद्र गिरी है।
  • यह महानदी गोदावरी, कृष्णा, कावेरी द्वारा अपरदित है।

 पश्चिमी घाट

  • यह सतत नहीं है और दर्रों के द्वारा ही पार किया जा सकता है। मुख्य दर्रे हैं: थाल घाट, भोर घाट, पालघाट
  • यहाँ पर्वतीय वर्षा होती है अर्थात् वर्षा, घाट के पश्चिमी ढाल पर आर्द्र हवा के टकराकर ऊपर उठने के कारण होती है।
  • पश्चिमी घाट के स्थानीय रूप से अनेक नाम हैं:
    • महाराष्ट्र में सह्याद्री 
    • कर्नाटक और तमिलनाडु में नीलगिरी
    • केरल में अन्नामलाई और कर्डामम
  • ज़्यादातर प्रायद्वीपीय नदियों की उत्पत्ति पश्चिमी घाट से हुई है।
  • इसकी औसत ऊंचाई 15 मीटर है।
  • प्रायद्वीपीय पठार की सबसे ऊंची चोटी अनाईमुडी है जो पश्चिमी घाट की अन्नामलाई पहाड़ियों पर स्थित है।
  • यहां की मिट्टी काली है जिसे दक्कन ट्रैप कहते हैं। इसकी उत्पत्ति आग्नेय शैल से हुई है।
  • पूर्वी और पश्चिमी घाट नीलगिरी पहाड़ियों में आपस में मिलते हैं।

उत्तर पूर्व पठार

  • वास्तव में यह प्रायद्वीपीय पठार का ही एक विस्तारित भाग है।
  • यहां पर रहने वाली जनजातियों के नाम के आधार पर मेघालय के पठार को तीन भागों में बांटा गया है:
    • गारो
    • खासी और
    • जयंतिया पहाड़ियां
  • असम की कार्बी आंगलोंग पहाड़िया भी इसी का विस्तार है।
  • छोटा नागपुर पठार की तरह, मेघालय के पठार में भी कोयला, लोहा, सिलीमेनाइट, चूने के पत्थर और यूरेनियम जैसे खनिज पदार्थों का भंडार है।
  • मेघालय का पठार एक अति अपरदित स्थल है।
  • चेरापूंजी नग्न चट्टानों से ढका स्थल है और यहाँ पर वनस्पतियां नहीं के बराबर है।
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प्रश्नोत्तर

प्रायद्वीपीय पठार का अर्थ क्या है?

गंगा व यमुना के दक्षिण में उभरता हुआ विशाल भूखंड, भारत का प्रायद्वीपीय पठार कहलाता है। इसका आकर मोटे तौर पर त्रिभुजाकार है। इसका आधार गंगा की घाटी है तथा शीर्ष सुदूर दक्षिण, कन्याकुमारी में स्थित है।

प्रायद्वीपीय पठार के दो भाग कौन से हैं?

प्रायद्वीपीय पठार के दो मुख्य भाग है: मध्य उच्च भूमि और दक्कन का पठार।

प्रायद्वीपीय पठार को कितने भागों में बांटा गया?

प्रायद्वीपीय पठार को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया: मध्य उच्च भूमि, दक्कन का पठार और उत्तर पूर्व पठार

प्रायद्वीपीय पठार का विकास क्या है?

यह पठार गोंडवाना लैंड के टूटने से बना है। कार्बोनिफेरस युग से पहले यह गोंडवाना लैंड का एक महत्वपूर्ण भाग था। गोंडवानालैण्ड के विखंडन के बाद यह इंडो-आस्ट्रेलियन प्लेट के रूप में उत्तर पूर्व की ओर अग्रसारित होकर मेसोजोइक काल के आदिनूतन युग में एशियाई प्लेट से टकराया।

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Written by GKTricksIndia