आप यहाँ पढ़ेंगे कि वेद कितने हैं कितने प्रकार के होते हैं, चार वेद के नाम, सबसे पुराना वेद कौन सा है। अथर्व वेद में क्या ख़ास है।

वेद वैदिक धर्म ग्रन्थ है। प्राचीन भारत के इतिहास के स्रोत के रूप में वेद एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इससे हमें आर्यों के बारे में शुरुआती जानकारी मिलती है। वेदों के संकलन कर्ता कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास को माना गया है।
वेद कितने हैं
वेदों की कुल संख्या चार है:
- ऋग्वेद
- सामवेद
- यजुर्वेद
- अथर्व वेद
चार वेद के नाम
इन चारों वेदों के नाम इस ट्रिक के माध्यम से याद रख सकते है:

ऋग्वेद

- ऋग्वेद, चारों वेदों में सर्वाधिक प्राचीन वेद है।
- ऋग्वेद से आर्यों की राजनीतिक प्रणाली एवं इतिहास के विषय में जानकारी मिलती है।
- ऋग्वेद अर्थात् ऐसा ज्ञान जो ऋचाओं में बद्ध हो।
- इस वेद में मण्डल, 8 अष्टक एवं 1028 सूक्त हैं इसमें ‘बाल खिल्यसूक्त’ जिनकी संख्या 11 है, भी शामिल है।
- सूक्तों के पुरुष रचयिताओं में गृत्सयद, विश्वमित्र, वामदेव, अत्रि, भारद्वाज और वशिष्ठ तथा स्त्री रचयिताओं में लोपामुद्रा घोषा, शचीपौलोमी और काक्षावृति प्रमुख हैं।
- ऋग्वेद के दूसरे एवं सातवें मण्डल की ऋचायें सर्वाधिक प्राचीन हैं जबकि पहला एवं दसवाँ मण्डल अन्त में जोड़ा गया है।
- ऋग्वेद के आठवें मण्डल में मिली हस्तलिखित प्रतियों के परिशिष्ट को ‘खिल’ कहा गया है।
- ऋग्वेद भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व की प्राचीनतम रचना है। इसकी तिथि 1500 से 1000 ई० पू० मानी जाती है।
- ऋग्वेद के अधिकांश भाग में देवताओं की स्तुति परक ऋचाएं हैं अतः उनमें ठोस ऐतिहासिक सामग्री बहुत कम मिलती है। फिर भी इसके कुछ मन्त्र ठोस ऐतिहासिक सामग्री उपलब्ध कराते हैं।
- जैसे एक स्थान पर ‘दाशराज्ञ युद्ध’, भरत कबीले के राजा सुदास एवं पुरू कबीले के मध्य हुआ था का वर्णन किया गया है। है। भरत जन के नेता सुदास के मुख्य पुरोहित वशिष्ट थे जबकि इनके विरोधी के दस जनों (आर्य और अनार्य) के संघ के पुरोहित विश्वामित्र थे ।
- भरत जन का राजवंश त्रित्सु मालुम पड़ता है, जिसके प्रतिनिधि दिवोदास एवं सुदास थे। भरत जन के नेता सुदास ने रावी (परुष्णी) नदी के तट पर दस राजाओं के संघ को पराजित कर ऋग्वैदिक भारत के चक्रवर्ती शासक के पद पर अधिष्ठित हुए।
- ऋग्वेद में यदु, द्रहु, तुर्वस, पूरु और अनु पांच में जनों का वर्णन मिलता है।
- ऋग्वेद के मंत्रों का उच्चारण यज्ञों के अवसर पर होतृ ऋषियों द्वारा किया जाता था। संहिता का अर्थ संकलन है ।
- ऋग्वेद की पाँच शाखायें हैं शाकल, वाष्कल, आश्वलायन, शंखायन तथा मांडूम्य ।
- ऋग्वेद के कुल मंत्रों की संख्या लगभग 10600 है। बाद में जोड़ें गये दशम मंडल में सर्वप्रथम शूद्रों का उल्लेख मिलता है जिसे ‘पुरुष सूक्त’ के नाम से जाना जाता है । इसी सूक्त से दर्शन की अद्वैत धारा की उत्पत्ति का भी आभास होता है। सोम का उल्लेख नवें मंडल में है।
- लोकप्रिय गायत्री मंत्र (सावित्री) का उल्लेख भी ऋग्वेद में ही किया गया है।
सामवेद

- ‘साम’ शब्द का अर्थ है ‘गान’।
- सामवेद में संकलित मंत्रों को देवताओं की स्तुति के समय गाया जाता था।
- सामवेद में कुल 1549 ऋचायें हैं जिनमें 75 के अतिरिक्त शेष ऋग्वेद से ली गयी हैं।
- इन ऋचाओं का गान सोमयज्ञ के समय ‘’उद्गाता’ करते थे।
- सामवेद की तीन महत्वपूर्ण शाखायें हैं—कीथुय, जैमिनीय एवं राणायनीय।
- देवता विषयक विवेचन की दृष्टि से सामवेद का प्रमुख देवता ‘सविता’ या ‘सूर्य’ है, किन्तु इंद्र सोम का भी इसमें पर्याप्त वर्णन है।
- भारतीय संगीत के इतिहास के क्षेत्र में सामवेद का महत्वपूर्ण योगदान है।
यजुर्वेद

- ‘यजुष’ शब्द का अर्थ है ‘यज्ञ’ ।
- यजुर्वेद के मंत्रों का उच्चारण ‘अध्वर्य’ नामक पुरोहित करता था। इस वेद में अनेक प्रकार के यज्ञों को सम्पन्न करने की विधियों का उल्लेख है।
- यह गद्य तथा पद्य दोनों वेदांता में लिखा गया है। गद्य को ‘यजुष’ कहा गया है।
- यजुर्वेद के दो मुख्य भाग हैं— कृष्ण यजुर्वेद एवं शुक्ल यजुर्वेद
- कृष्ण यजुर्वेद—इसमें छन्दोबद्ध मन्त्र तथा गद्यात्मक वाक्य हैं। इसकी मुख्य शाखायें हैं- तैत्तिरीय, काठक, कपिष्ठल, मैत्रायणी ।
- शुक्ल यजुर्वेद – इसमें केवल मंत्रों का समावेश है। इसकी मुख्य शाखायें हैं—माध्यन्दिन तथा काण्व। इसकी संहिताओं को वाजसनेय भी वेदान्त कहा गया है क्योंकि वाजसेनी के पुत्र याज्ञवल्क्य इसके दृष्टा थे।
- महर्षि पतञ्जलि द्वारा उल्लिखित यजुर्वेद की 101 शाखाओं में इस मुण्डक समय केवल उपरोक्त पांच (तैत्तिरीय, काठक, कपिष्ठल, मैत्रायणी और मुण्डक वाजसनेय) ही उपलब्ध हैं।
अथर्ववेद

- इस वेद की रचना अथर्वा ऋषि द्वारा की गयी है, अतः अथर्वा ऋषि के नाम पर ही इसे अथर्ववेद कहते हैं। इसके दूसरे द्रष्टा आंगिरस ऋषि थे। इसी कारण अथर्ववेद को अथर्वाङ्गिरसवेद भी कहा जाता है।
- इस वेद में कुल 20 मंडल, 731 सूक्त एवं 5,839 मंत्र हैं। इस वेद में के महत्वपूर्ण विषय हैं— ब्रह्मज्ञान, औषधि प्रयोग, रोग निवारण, तंत्र-मन्त्र, वैदिक टोना-टोटका आदि। इस वेद की दो अन्य शाखायें हैं–पिप्पलाद एवं शौनक।
सबसे प्राचीन वेद कौन सा है ?
चारों वेदों में ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है।
वेद कितने होते हैं ?
वेद चार हैं: ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्व वेद
किस वेद में योग के बारे में उल्लेख मिलता है ?
योग के बारे में उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।
गायत्री मंत्र किस वेद में है
गायत्री मंत्र का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद के तृतीय मंडल में मिलता है, जिसकी रचना विश्वामित्र ने की है।
गायत्री मंत्र किस वेद से लिया गया है ?
गायत्री मंत्र ऋग्वेद के तृतीय मंडल से लिया गया है।
वेद कितने प्रकार के हैं ?
वेद चार प्रकार के हैं: ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्व वेद ।
किस वेद में बीमारियों का उपचार दिया गया है ?
बीमारियों का उपचार के बारे में आयुर्वेद में किया गया है, जो ऋग्वेद का उपवेद है।
आयुर्वेद की उत्पत्ति किस वेद से हुई है ?
आयुर्वेद की उत्पत्ति ऋग्वेद से हुई है।
अथर्व वेद में क्या है
इस वेद में कुल 20 मंडल, 731 सूक्त एवं 5,839 मंत्र हैं। इस वेद में के महत्वपूर्ण विषय हैं— ब्रह्मज्ञान, औषधि प्रयोग, रोग निवारण, तंत्र-मन्त्र, वैदिक टोना-टोटका आदि।
जादू टोना किस वेद में है ?
जादू टोना अथर्ववेद में है।
शतपथ ब्राह्मण किस वेद से संबंधित है ?
शतपथ ब्राह्मण यजुर्वेद से संबंधित है।
कितने वेद कितने पुराण ?
वेद चार है, और पुराण 18 हैं।
कौन सा वेद गद्य और पद्य दोनों में है
यजुर्वेद गद्य और पद्य दोनों में है
वेद कितने हैं उनके नाम बताइए
वेद चार हैं: ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्व वेद ।
वेद कितने प्रकार के होते है
वेद चार प्रकार के हैं: ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्व वेद ।
वेद पुराण कितने है
वेद चार है, और पुराण 18 हैं।
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वेद चार हैं: ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्व वेद ।
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Thank you Abhay ji 🙂