प्वाइंट वाइज़, मैप और चार्ट के माध्यम से Uttar ka Vishal Maidan को समझाया गया है। केवल परीक्षा में आने वाले महत्वपूर्ण मटीरीयल को ही शामिल किया गया है।

- यह नवीनतम भौतिक प्रदेश है जिसका निर्माण हिमालय की उत्पत्ति के बाद हुआ है।
- सिंधु गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा बहा कर लाए गए जलोढ़ निक्षेपों के फलस्वरूप गर्त के भर जाने से इस विशाल मैदान का निर्माण हुआ है।
- इसका विस्तार 7 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर है जो लगभग 2400 किलोमीटर लंबा और 240 से 320 किलोमीटर चौड़ा है। इसका सर्वाधिक भाग उत्तर प्रदेश में है, शेष भाग पंजाब, हरियाणा, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम राज्य में है। [Uttar ka Vishal Maidan]
- निक्षेपित जलोढ़ की गहराई लगभग 2000 मीटर तक पाई जाती है। हिमालय के निकट जलोढ़ की गहराई सर्वाधिक है जबकि प्रायद्वीपीय पठार के समीपवर्ती भाग में गहराई कम होती है।
- स्वेस महोदय के अनुसार, पूर्व में इस मैदान के स्थान पर एक विवर्तनिकी(tactonic) गर्त था जिसका निर्माण हिमालय के निर्माण के दौरान ही संपन्न हुआ था।
- विश्व का सर्वाधिक जलोढ़ निक्षेपित और निश्चित मैदान है, इसकी ढाल अत्यंत मंद है।
- समृद्ध मृदा आवरण, पर्याप्त पानी की उपलब्धता और अनुकूल जलवायु के कारण कृषि की दृष्टि से यह भारत का अत्यधिक उत्पादक क्षेत्र है, इसी कारण यह सघन जनसंख्या वाला प्रदेश है।[Uttar ka Vishal Maidan]
- यहां बहने वाली नदियां अपने मुहाने पर विश्व के बड़े-बड़े डेल्टाओं का निर्माण करती है जैसे सुंदरबन डेल्टा।
उत्तर भारत का विशाल मैदान को मोटे तौर पर 3 वर्गों में विभाजित किया जा सकता है
- पंजाब का मैदान
- गंगा का मैदान
- ब्रह्मपुत्र का मैदान

पंजाब का मैदान
- उत्तरी मैदान का पश्चिमी भाग
- सिंधु और इसकी सहायक नदियों के द्वारा निर्मित
- अधिकांश हिस्सा पाकिस्तान में
- दोआबों की संख्या बहुत अधिक
गंगा का मैदान
- उत्तरी भारत के राज्यों हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में विस्तृत।
- इसका विस्तार घग्गर और तीस्ता नदियों के बीच है।
ब्रह्मपुत्र का मैदान
- विशेषकर असम में
- नदीय द्वीप और बालू रोधिकाओं की उपस्थिति
- इन द्वीपों में माजुली द्वीप विश्व का सर्वाधिक बड़ा द्वीप है।
आकृतिक भिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदान को चार भागों में विभाजित किया जाता है

भाबर
- नदियों पर्वतों से नीचे उतरते समय शिवालिक की ढाल पर 8 से 16 किलोमीटर की चौड़ी पट्टी में गुटिका का निक्षेपण करती हैं।
- सभी नदियां भाबर में विलुप्त हो जाती है
- इस मैदान को शिवालिक का जलोढ़ पंख (Alluvial Fan) भी कहा जा सकता है.
तराई
- बाबर के दक्षिण में यह नदियां पुनः निकल आती है और नम और दलदली क्षेत्र का निर्माण करती है।
- नम और दलदली क्षेत्र के कारण मच्छरों के पनपने के फलस्वरूप इस क्षेत्र में मलेरिया का प्रकोप अधिक है।
बांगर
- उत्तरी मैदान का सबसे विशालतम भाग पुराने जलोढ़ का बना है।
- यह नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित तथा वेदिका जैसी आकृति प्रदर्शित।
- विस्तार पंजाब हरियाणा राजस्थान पश्चिमी उत्तर प्रदेश।
- मृदा में चुनेदार निक्षेप, जिन्हें स्थानीय भाषा में कंकड़ कहते हैं।
खादर
- बाढ़ वाले मैदानों के नए व युवा निक्षेपों को खादर कहते हैं।
- इनका लगभग प्रतिवर्ष पुनर्निर्माण इसलिए यह उपजाऊ।
- विस्तार उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम।
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प्रश्नोत्तर
उत्तर भारतीय मैदान का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर भारतीय मैदान का दूसरा नाम सिन्धु-गंगा का मैदान है। इसे उत्तरी मैदानी क्षेत्र तथा उत्तर भारतीय नदी क्षेत्र भी कहा जाता है।
उत्तरी विशाल मैदान का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर भारत के मैदान का निर्माण मुख्यतः सिंधु, गंगा व ब्रह्मपुत्र नदी तथा इनकी सहायक नदियों द्वारा लाए गए अवसादों के निक्षेपण से हुआ है। इन्हें गंगा व ब्रह्मपुत्र का मैदान भी कहते हैं। यह मैदान पश्चिम में सिंधु नदी से लेकर पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी तक फैला हुआ है।
उत्तरी मैदान को कितने भागों में बांटा गया है?
उत्तरी मैदान को मोटे तौर पर तीन उपवर्गों में विभाजित किया गया है। उत्तरी मैदान के पश्चिमी भाग को पंजाब का मैदान कहा जाता है। सिंधु तथा इसकी सहायक नदियों के द्वारा बनाये गए इस मैदान का बहुत बड़ा भाग पाकिस्तान में स्थित है।
उत्तरी मैदान का क्षेत्रफल कितना है?
इसका विस्तार पश्चिम में राजस्थान से लेकर पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी घाटी तक है। इसका क्षेत्रफल 7 लाख वर्ग किलोमीटर से भी अधिक है। यह मैदान 2400 किलोमीटर लंबा और 240 से 320 किलोमीटर चौड़ा है।
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